सफल होने के लिये अपना दिमाग विकसित कैसे करें?

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How to develop your mind to be successful

सफल होने के लिये अपना दिमाग विकसित कैसे करें?

How to develop your mind to be successful?
सर्वप्रथम तो यह समझ लें कि सप्तरिपुओं(काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य एवं ममत्व) से जुड़े किसी विषय को अपना लक्ष्य न बनायें, न समझें। जैसे कि यदि आप बेरोज़गार हैं तो किसी से तुलना करते हुए अथवा किसी पद का पीछा करते हुए आगे न बढ़ें। स्वयं अपने स्तर पर देखें कि आप क्या-क्या कर सकते हैं, अच्छी दिषा में। उसमें परिणामप्राप्ति को ही सफलता मानें। सफल होने के लिये दिमाग को विकसित करने के कुछ तरीके यहाँ दर्षाये जा रहे हैं जो निष्चय ही प्रभावी सिद्ध होंगेः-



1. बहुमत को सत्य का प्रमाण न मानेंः

ऐसा आवष्यक नहीं कि जहाँ बहुमत हो वह सच में सही ही हो, उदाहरण के रूप में बहुमत के बल पर जीतने वाला राजकीय दल आगामी चुनाव में हार जाता है। बहुमत को सही मानते तो अस्पृष्यता(छुआछूत) का निवारण असम्भव-सा हो जाता। आपके संगी-साथियों, आसपास के लोगों, प्रसिद्धजनों ने क्या किया उस उस आधार पर दसवीं/बारहवीं कक्षा के बाद शैक्षणिक विषय का चयन न करें, स्वयं की रुचि देखें। इंजीनियरिंग/मेडिकल करने वालों की अपेक्षा कॉमर्स-षिक्षित व्यक्ति सुखी आर्थिक जीवन जी रहा हो ऐसा सम्भव है। दूसरों की सामाजिक-आर्थिक अवस्था से होड़ न मचायें। अपने मन-मस्तिष्क को यह सत्य समझायें कि ईष्वर ने सबको सबकुछ दिया है किसे किस गुण को उभारना है यह हमारे स्वयं पर निर्भर है।

2. क्या कहेंगे लोग सबसे बड़ा रोगः

सब लोगों की सभी बातें अनसुनी करने योग्य नहीं होतीं किन्तु फिर भी हर किसी की या पूरे समाज की बातें पकड़कर बैठ जाना अथवा तानों को मन से लगा लेना भी ठीक नहीं। दूसरों की बातों से सावधान अवष्य होइए, भुक्तभोगियों की आपबीतियों को सुनिये तथा ठोकर खाये हुए लोगों को समझने का प्रयास कीजिये परन्तु ‘हमारे साथ भी ऐसा ही होगा’ ऐसा मानकर न बैठिए।

3. डायरी मैण्टेन करिएः

मोबाइल/कम्प्यूटर पर लिखने के बजाय अपने हाथों से कागज़ पर लिखकर जेब में रखने की आदत डालें, विस्तार वाली बातों को घर पर बड़ी डायरी में लिखें; आपके पास जेब में एक छोटी डायरी व लेखनी सदैव हो जिसमें आप आज क्या-क्या करना है, क्या-क्या बचा है, क्या क्रय करना है एवं अन्य आवष्यक विवरण लिखा हो जैसे कि जिज्ञासा, अनुभूति व समस्या इत्यादि।



4. अच्छी आदत अभी डालिएः

अच्छी आदतें डालने में बिल्कुल देर न कीजिए; जैसे यदि आप अब तक 8 बजे उठते रहे हों और 5 बजे उठने में आलस्य लगे तो एकदम से अलार्म 5 का लगाने की अपेक्षा हर दिन 15-15 मिनट्स पीछे करते हुए अलार्म को 5 पर स्थायी रूप से निष्चित कर सकते हैं।

5. बुरी आदतों के मार्ग में अवरोध लगाइएः

जैसे कि यदि वॉषिंग मषीन में कपड़े धोने की आदत पड़ गयी हो तो वॉषिंग मषीन का प्लग निकालकर उसे कुछ दूर रख दें एवं बिजली के खटके व मषीन के बीच कोई भारी वस्तु रख दें ताकि दोबारा उस मषीन का प्रयोग कठिन लगे, इस प्रकार हाथों से कपड़े धोने के कारण शारीरिक सक्रियता वापस आ जायेगी एवं कपड़े भी अधिक साफ़ धुल पायेंगे। सोष्यल मीडिया को एकदम से स्थायी रूप से दूर करना कठिन लगे तो मोबाइल में सब हटाकर डेस्कटॉप से या वेबसाइट पर जाकर ही उसमें लॉग-इन करें, हर बार यह प्रक्रिया दोहराना बोझिल लगने लगेगा व आप स्वयं ही सोष्यल मीडिया से बोर हो जायेंगे अथवा इसकी अनावष्यकता से ऊब जायेंगे।

6. विफलता से बुरा न मानियेः

मान लीजिये कि आप कोरोनाविरोधी या इम्युनिटी-बूस्टर मिश्रण बेचने की योजना बना रहे हों (जिसमें दालचीनी, कालीमिर्च, पिप्पली, मुलहठी, सौंठ, लौंग को पीसा गया हो) तो एक, दो, तीन, चार, पाँच लोगों ने भी यदि उसे ख़रीदने से मना कर दिया हो तो भी ‘मुझसे न हो पायेगा’ सोचकर न तो हीनभावग्रस्त होना, न ही अगले व्यक्ति तक पहुँचने के प्रति होत्साहित होना; आपका कार्य, आपकी पहल, आपका प्रयास यदि सही दिषा में है तो आपको निराष होने की आवष्यकता क्यों हो?

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