दुराव-छुपाव नामक दुर्गुण को मिटायें

0
87
Eliminate the evil called durao-chuppa

दुराव-छुपाव नामक दुर्गुण को मिटायें

इस आलेख में आपको बताया जायेगा कि सम्बन्धों में दुराव-छुपाव कितनी बड़ी मानसिक बीमारी है जिसे कैन्सर बनते समय नहीं लगता, अतः अबसे किसी से कुछ न छुपायें तथा यदि कुछ छुपा हुआ हो तो अभी सबकुछ बता दें फिर चाहे भले ही वह बात आपको महत्त्वहीन लग रही हो परन्तु फिर भी अब कुछ छुपा या दबा-कुचला न हो, सबकुछ बता ही दें। जिस प्रकार मकान के छुपे अथवा अंधकारमय अनुपयोगी स्थान में मकड़ियाँ जालें बनाने लगती हैं, समय-समय पर धूप न दिखाये अनाज में घुन लगने लगते हैं उसी प्रकार सम्बन्ध में गुप्तता के लिये कोई स्थान न रहे, रिक्तता न रहे, अधूरापन न रहेः-



1. ‘ठेस पहुँचेगी/विरोध आयेगा’ ऐसा सोचकर भी न छुपायेंः

कई बार व्यक्ति इसलिये भी बात छुपा लेता है अथवा अधूरी बात बताता है कि ‘सामने वाले को बुरा लगेगा’ परन्तु वास्तव में हर हाल में पूरी बात सच-सच बतानी ही चाहिए, खुलके बोलना साफ़ मन की निषानी होती है; मन में कोई बात न रखें। भीतर जो हो उसे तुरंत निकाल के सम्बन्ध के हर पहलू को पारदर्षी बनाये रखें। बात यदि व्यक्तिगत हो तो सम्बन्धित व्यक्ति से एकान्त में आमने-सामने बात करें जहाँ उसे किसी तीसरे की उपस्थिति के कारण संकोच न हो एवं वह भी उन्मुक्त मन से बात कर पाये एवं यथार्थ बातों को स्वीकार भी कर सके।

2. ‘अनुमति नहीं होगी’ ऐसा सोचकर भी न छुपायेंः

ऐसा किषोरवय बच्चे अधिक करते हैं एवं जीवनसाथी द्वारा भी ऐसा किया जा सकता है जो कि किया नहीं जाना चाहिए, यदि विरोध अथवा असहमति की सम्भावना हो तो भी खुलकर चर्चा करें, क्या वह विषय आपके सम्बन्ध अथवा पारस्परिक माधुर्य से बड़ा हो गया जो आप अपने बीच उस विषय को अँधियारे स्थान के जैसे गुप्त रखे हुए हैं?



3. ‘मौन’ न रहेंः चुप्पी/ख़ामोषी के प्रायः

दो अर्थ निकाले जा सकते हैंः श्रोता सहमत है अथवा श्रोता असहमत है। किसी बात पर व्यक्ति के शान्त रहने/चुप होने को उसकी मौन-स्वीकृति समझ लिया जाता है परन्तु ऐसा सदा आवष्यक नहीं, यह भी हो सकता है कि वह असहमत हो, जैसे मधुमेहग्रस्त पिता के सामने रसगुल्ले की कटोरी रखी गयी तो पुत्र उसे रोककर मीठा कम खाने को कहना चाहता है परन्तु ‘पिता द्वारा किये जा सकने वाले विरोध’ से बचने के लिये वह मौन रह जाता है क्योंकि उसे भय है कि एक रसगुल्ले में वे मानेंगे नहीं, पूरी कटोरी लेने में ही ख़ुष होंगे।

4. सम्बन्ध में दरार न आने देंः

जनरेषन गेप कहें या कोई अन्य अन्तराल यह आता तभी है जब व्यक्ति धीमे-धीमे बातें छुपा-छुपाकर इस ‘छुपाने’ को अपनी आदत बना लेता है, फिर ‘एक बार छुपकर पानीपुड़ी खाने वाला बेटा’ बड़ा होकर ‘बारम्बार छुपकर मदिरा पीने’ वाला वयस्क बन जाता है; यदि आरम्भ से ही परस्पर पारदर्षिता बरती होती जो यह दूरी न आती, खैर जो हुआ सो हुआ, जब जागो तभी सवेरा; अब एकान्त में बैठकर परस्पर खुलकर चर्चा करते हुए हर छुपी बात इत्यादि अतीत पूर्णतया व सविस्तार बता दें एवं सब स्पष्ट कर दें तथा सुलझा लें।

Previous articleLaptop खरीदने के टिप्स
Next articleव्यक्तिगत सशक्तिकरण क्या है
व्यक्ति समूह की आवश्यकता मान्यता इच्छा अनुसार। सुगंध व वर्ण चिकित्सा। पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली। किशोरावस्था। युवावस्था संबंधी चिकित्सा। मनोवैज्ञानिक व चिकित्सा ,विवाह पूर्व मार्गदर्शन। अनुवांशिक युवा दांपत्य समस्या समाधान। संतान पालन परिवार नियोजन इत्यादि। व्यवसायिक युवा सामाजिक शोध। अंत शुद्धीकरण। समग्र व प्रकरण विशिष्ट क्या करें क्या ना करें? का निर्धारण। स्व उपयोगिता आकलन। व्यक्तित्व मूल्यांकन। जीवन लक्ष्य निर्धारण। जीवन में कुछ अच्छा करने के इच्छुक सकारात्मक नवाचार के मार्गदर्शन सहित विविध विषयों में प्रामाणिक मार्गदर्शन एवं नवाचार। सुमित कुमार स्वतन्त्र लेखक, अनूदक, विविध विषयों में मार्गदर्षक एवं नवाचारी 9425605432 (सीधे भाष् करें)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here